Month: September 2018
कुछ दिनों से महाराजा श्रेणिक के बगीचे से रोज ही आम चोरी हो जा रहे थे! राजा श्रेणिक ने वह वृक्ष महारानी चेलना के लिए विशेषत: लगवाए थे जिनमे …
बहुत दिन बाद पकड़ में आई… थोड़ी सी खुशी…तो पूछ लिया, “कहाँ रहती हो आजकल….ज्यादा मिलती नही?”, “यही तो हूँ” जवाब मिला। “बहुत भाव खाती हो…कुछ सीखो अपनी बहन …
अच्छे अच्छे महलों मे भी एक दिन कबूतर अपना घोंसला बना लेते है … सेठ घनश्याम के दो पुत्रों में जायदाद और ज़मीन का बँटवारा चल रहा था और …
हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में…!! कुछ दर्द चले जाते है, परिवार और दोस्तो के साथ मुस्कुराने मे
मनुष्य की वास्तविक पूंजी धन नहीं, बल्कि उसके विचार हैं, क्यों कि धन तो खरीदारी में दूसरों के पास चला जाता हैं, पर विचार अपने पास ही रहते हैं …
“व्यक्तित्व” की भी अपनी वाणी होती है, जो “कलम”‘ या “जीभ” के इस्तेमाल के बिना भी, लोगों के “अंर्तमन” को छू जाती है..!!!
माना कि पहुँच गया हूँ सफलता की ऊँचाइयों पर आज मैं, लेकिन लोगों के दिलों में उतरने का हुनर आज भी रखता हूँ।
एक साधु महाराज श्री रामायण कथा सुना रहे थे। लोग आते और आनंद विभोर होकर जाते। साधु महाराज का नियम था, रोज कथा शुरू करने से पहले “आइए हनुमंत …
समंदर बड़ा होकर भी अपनी हद में रहता है, इन्सान छोटा होकर भी अपनी हद भूल जाता है ।